गुरुवार, 28 अगस्त 2008

क्यों अब तो आपका मुंह बंद हो जायेगा न

श्रीलंका में टेस्ट सीरीज़ के हारने के बाद सबका यही कहना था कि भारत वनडे श्रंखला भी हारेगा कहना भी सही था क्योंकि जिस तरह से टीम की दुर्गति हुई थी उससे तो यही लगता था की लोग सही कह रहे हैं लेकिन क्या हुआ असली परिणाम सभी ने देख लिया इससे सब को यह पता चल गया होगा की धोनी किस चिडिया का नाम है । अब तो शायद यही लोग कहने लगेंगे की असस्भव को सम्भव करने वाली चिडिया का नाम धोनी है और जो लोग चैनलों के स्टूडियो में बैठकर सिर्फ़ बक बक करना जानते हैं उन्हें भी पता लग गया होगा की हमारी भविश्यवाणी कितनी सच थी । माना की कुंबले हार गए लेकिन इसी आधार पर धोनी के बारे में कहना ग़लत होगा । ऐसा दो बार हो चुका है । ऑस्ट्रेलिया में हम टेस्ट हारे फ़िर धोनी ने वनडे जीती वह भी बड़े शान से , फ़िर यही चीज श्रीलंका में भी हुआ हम पहली बार श्रंखला जीते । इसलिए यह कहना की पहले जो हुआ वही फ़िर होगा बिल्कुल ग़लत है । यदि यह देखते हुए टेस्ट की कप्तानी भी यदि माही को मिल जाए तो कोई आश्चर्य नही होना चाहिए ।

सोमवार, 25 अगस्त 2008

चैनल वालों को मिल गया मसाला

किसी ने आशा नहीं की थी कि भारत श्रीलंका में लगातार २ एकदिनी मैच जीत लेगा लेकिन भारतीयों के संयुक्त प्रयासों से ऐसा हुआ तो अब चैनल वालों को एक नयी चीज़ मिल गयी है । पहले वे दिखाते थे की भारत को एम् फैक्टर यानी मुरली और मेंडिस का काट धुन्धना होगा लेकिन कल जब भारत के खिलाड़ियों ने उसकी खूब ठुकाई की है तब भी चैनल और अखबार वाले यही दिखायेंगे की अब देखिये मेंडिस की काट ढूंढ ली गयी है । क्या एक ही मैच हर चीज़ का पैमाना होता है ठीक ऐसा ही गाले के दूसरे टेस्ट के बाद भी हुआ था उस समय भी लिखा गया कि भारत ने मेंडिस की काट ढूंढ ली है और फ़िर तीसरे टेस्ट में हम हार गए ऐसा न हो की हम फ़िर वैसा ही करें। मुरली तो वैसे भी हमारे खिलाफ चल नहीं रहे है तो फ़िर एम् फैक्टर का डर कैसा। लेकिन हमें यानी चैनल व अख़बार वालों को मसाला तो मिल ही गया यदि विश्वास न हो तो कल का अखबार जरूर देखियेगा ।

गुरुवार, 21 अगस्त 2008

जीतने के बाद ऐसा क्यों ?

इस बार का ओलंपिक वाकई कई मामले में हमारे लिए महत्त्वपूर्ण रहा है । पहली बार हम हाकी के अतिरिक्त किसी अन्य स्पर्धा में गोल्ड जीतकर लाये हैं और पहली बार तीन मैडल जीतकर लाये हैं इससे पहले हमारा देश अधिकतम दो मेडलों तक सीमित हो गया था लेकिन इस बार का प्रदर्शन काफ़ी सारी आशाएं लेकर आया है इससे हमें आगे अपने प्रदर्शन को सुधारने में मदद मिलेगी , इस बार भी जो पदक जीते गएँ हैं उसमे सरकार से ज्यादा उनके अपने पर्सनल प्रयासों का हाथ है । उन लोगों ने जमकर म्हणत की और बीजिंग जाकर देश का नाम ऊँचा करके आए । लेकिन उसके बाद क्या होता है हम सभी जानते हैं एअरपोर्ट पर उतरने के बाद खिलाड़ी सबसे पहले राष्ट्रपति , प्रधानमंत्री व खेलमंत्री से मिलने चला जाता है आख़िर क्यों ? जब हमारे देश में खिलाड़ियों को उचित प्रशिक्षण नहीं मिलता तब यही देश को चलाने वाले क्यों नहीं आगे आते उस समय तो कान में तेल डालकर सोये रहते हैं उस समय कुछ भी पूछने पर सब अपनी जिम्मेदारी से भागते हैं तो फ़िर इस समय क्यों श्रेय ले रहें हैं क्यों अखबारों के मुख्य पृष्ठपर अपनी तस्वीर लगवाना चाहते हैं । भारत के खिलाड़ियों में भिकाफी दम है ल्जरूरत है उन्हें अच्छी सुविधा की यदि वो उन्हें मिल जाए तो हम भी चीन बन सकते हैं । भारतीय खिलाड़ी म हर कोई अभिनव बिंद्रा नहीं है जो की अकूत संपत्ति का मालिक है इसलिए यह सुविधा तो सरकार प्रदान करे । उसके बाद सब खुश रहेंगे फ़िर आप श्रेय लीजिये न कोई ऊँगली नही उठाएगा फ़िर तो सब आपका गुणगान करेंगे । जीतने के बाद इनामों की बरसात की जाती है तह ट्रेनिंग के दौरान क्यों नही दी जाती है जिस समय उसकी जरूरत होती है और जब जीत जायेंगे तो लाखो करोरों रुपये दिए जाते हैं जो की पूर्णतया ग़लत है।

सोमवार, 11 अगस्त 2008

आखिर क्यों न अंगुली उठाई जाए

भारत श्रीलंका के बीच ३ टेस्ट की सीरिज ख़त्म होने को है और भारत के मध्यक्रम के ४ धुरंधरों का क्या प्रदर्शन रहा है हम सभी जानते हैं गांगुली तथा सचिन ने तो एक भी हाफ sएन्चुरी नहीं बने है और भारत के दयनीय प्रदर्शन का प्रमुख कारन भी यही है की सचिन द्रविड़ गांगुली व लक्ष्मण नही चले वरना जिसके आगे मैक्ग्राथ ली व वॉर्न ने दम तोड़ दिए वहां मेंडिस की क्या औकात है । यह कहकर मैं मेंडिस से उसकी सफलता नहीं छीनना नही चाहता बेशक वह अच्छा गेंदबाज है लेकिन भारतीय बल्लेबाज अच्छा नहीं खेले इसलिए हमारी हार हुई । इन चीजों के मद्देनजर यदि इन्हें टीम से हटाने की बात यदि कही भी जाती है तो इसमे किसी को ऐतराज नहीं होना चाहिए। बेहतर तो यही होता की ये ख़ुद अपनी यथास्थिति को देखते हुए संन्यास ले लेते । दौरे से पहले सचिन ने कहा था की मैं इस दौरे पर अपना सर्वश्रेष्ठ दूँगा तो क्या यही उनका सर्वश्रेष्ठ है तब तो लोग हो हल्ला करेंगे ही न । द्रविड़ तो लगता है कप्तानी छोड़ने के बाद एकाध पारियों को छोड़ दे तो बल्लेबाजी करना ही भूल गए हैं । गांगुली के समर्थन में तो पूरा बंगाल ही है । इ सभी ने अच्छी स्पिन गेंदबाजी के सामने घुटने टेके हैं जो की भारत के लिए शुभ संकेत नही हैं क्योंकि यही भारत की मजबूती थी और वहां भी हम गच्चा खा गए।