शुक्रवार, 30 मई 2008

बहुत देर हो गयी

एक दिन पहले भोपाल में कई बड़े अधिकारियों के यहाँ आयकर अधिकारियों ने छापा मारा व बड़ी मात्र मात्रा में बेनामी संपत्ति पकड़ी । जिसके मध्यम से पता चला कि सारा पैसा जनकल्याण की योजनाओं का है जिसमें इन आला ओफ्फिसर्स ने घोटाला किया था । अब तो ये पकड़ा गए हैं इन पर क्या कार्रवाई होगी यह देखने वाली बात होगी हो सकता है सियासी ताकत और पैसे के बल पर ये छूट जाएं । क्योंकि पूर्व में भी ऐसी घटनाएँ हो चुकी है । कहने को तो इन्हें पकड़ा जाता है लेकिन बाद में क्या होता है यह हम सभी जानते हैं । जिसके पास पैसा है आज के ज़माने में उसी की चलती है ।जेसिकालाल नीतिश कटारा के कांड में न्यायपालिका ने अपना दायित्व बखूबी निभाया है आशा है जब इन अधिकारियों के खिलाफ भी मामला अदालत में जाएगा तो इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी ।

शनिवार, 24 मई 2008

क्यों बनाया ये आरक्षण

आरक्षण के नाम पर नेता अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहें हैं लाभ जो भी हो रहा है वह उन्हें ही हो रहा है बेचारी आम जनता का जो भी नुकसान हो रहा है उके लिए कौन जिम्मेवार है । आज़ादी के बाद से ही इस शास्त्र का इस्तेमाल नेताओं द्वारा अपने राजनीतिक लाभ के लिए किया जा रहा है । जरा सा सोचिये इस लड़ाई में नेताओं ने क्या खोया है क्या कभी उनकाकोई अपना मरा है शायद ही इसका कोई उदाहरण मिले क्योंकि जिस छेसे को वे जन हितों से जोड़ रहे हैं वह वास्तव में जनता का हित न होकर नेताओं का हित बनकर रह गया है । हम साधारण लोग तोइस आरक्षण की आग में जल रहें हैं अपने ही भाई की जान लेने पर तुले हैं जो कल तक हमारा सुख -दुःख का साथी था । क्यों न इस आरक्षण को ही ख़त्म कर दिया जाय न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी ।

शुक्रवार, 16 मई 2008

कुछ तो सीखें इनसे

जयपुर में पिछले दिनों दर्दनाक बमविस्फोट हुआ यह्ब हमारी सरकार की नाकामी को दिखता है इसके साथ ही हमारे देश की आंतरिक सुरक्षा पर भी सवाल खड़े करहै कोई भी सामान्यतया इनसे कुछ नही सीखना चाहेगा लेकिन इनकी अपने काम के प्रति ईमानदारी हर कोई के साथ हमारे देश की सरकार भी सीख सकती है। काम चाहे बुरा हो या अच्छा उसके दो पक्ष होते हैं इन आतंकियों के काम के भी दो पक्ष हैं जिसे कोई सामान्यतया स्वीकार नहीं करना चाहेगा लेकिन जरा सोचकर देखिये क्या वे अपना काम सही तरीके से नही करते बिल्कुल करते हैं काम तो मानवीय संवेदना की दृष्टि से काफी मर्माहत करने वाला है जिससे मनुष्य होने के नाते हर किसी को बचना चाहिए । जितनी तत्परता से आतंकियों ने इस काम को अंजाम दिया है उतनी ही तत्परता यदि सरकार दिखाई होती तो आज हमें अख़बारों की हेद्लाइएन् में हमे यह ख़बर देखना नहीं पड़ता और न लोगों के दिल में यह दहशत। इस देश की सरकार से यही कहना है की प्लीज तत्परता दिखाएँ उनकी तादाद तो आपसे कम ही है तो फ़िर दिक्कत क्या है बस आपना काम इमानदारी से करें सिर्फ़ चुनाव के समय ही नहीं बल्कि अन्य समय पर भी।

मंगलवार, 6 मई 2008

बहुत अच्छी पहल

एकाध साल पहले यू जी सी ने जो प्रावधान किया था उसके अनुसार lecturership के लिए नेट की पात्रता ख़त्म कर दी थी लेकिन उसे पुनः लाये जाने का प्रावधान करना एक अच्छा कदम है क्योंकि इससे इसकी गुणवत्ता में गिरावट आयी थी lएकं बार पुनः नेट की पात्रता को लागु करने का प्रावधान करना एक सराहनीय कदम है । भारत में बहुत सारे कॉलेज ऐसे हैं जहाँ से फर्जी डिग्री प्राप्त की जा रही है । जब नेट के प्रावधानों को ख़त्म किया तोकॉलेज में छात्रों बाढ़ सी आ गयी थी लेकिन गुणवत्ता पर कोई धयान नही दिया गया । जरा सा सोचिये जिनके पास ख़ुद कोई क्वालिटी नही है वे कॉलेज में नियुक्त होने के बाद क्या खाक अच्छा पढ़एँगे।यू जी.सी को चाहिए की पुनः जल्द से जल्द वेह नेट की पात्रता को लागु करे ताकि इस क्षेत्र की क्वालिटी को बनाये रखा जा सके , साथ ही यू जी सी को चाहिए की जो आर्थिक सहायता रिसर्च कार्यों के लिए दी जा रही है उसका भी समय समय पर मूल्यांकन करे । आज अध्यापन के क्षेत्र में कम लोग आ रहे हैं जो आ रहें है वे इसे टाइम पास का जरिया मानकर आ रहे हैं । यह एक अच्छा जॉब है नाम सोहरत सब है इसमे लेकिन अच्छे तरीके से काम करने वालों की कमी है । आज स्थिति यह है की विज्ञान में उच् शिक्षा प्राप्त करने वालों की संख्या काफी कम हो गयी है आख़िर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के इस युग में पूरे देश के लिए यह चिंता का विषय है । नेट की पात्रता के अतिरिक्त यू जी सी इन मामलों पर भी तत्काल कोई सकारात्मक कदम उठाये ।

शुक्रवार, 2 मई 2008

कैसे कम होगी महंगाई

लाख दावों के बावजूद महंगाई कम होने का नाम नही ले रही है सरकार की विदेश व्यापर निति भी आ गई जिसमें आयातों परकाफी छूट दी गयी व निर्यातों को महंगा बनाया गया । इसके अतिरिक्त रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया की मौद्रिक निति भी आ गई लेकिन इन सारे प्रावधानों के बावजूद भी मुद्रा स्फीति कम होने का नाम नही ले रही है यह पिछले ४-५ साल के सारे रिकार्ड तोड़ चुकी है । सरकार लाख दावे कर रही है लेकिन बावजूद इसके मुद्रास्फीति कम होने का नाम नही ले रही है । इसको लेकर सरकार की चिंता चुनावी हो सकती है लेकिन आम जन की समस्या कुछ इससे बहुत अधिक है । लोगों के किचन का बजट काफी बढ़ गया है सरकार द्वारा दावा करने के बावजूद की अनाज का उत्पादन इस साल आशा से अधिक होगा फ़िर भी दाम घटे नही हैं और उल्टे अनाजों की कालाबाजारी भी जारी है । पिछले दिनों डेल्ही में ३ लाख टन आनाज पकडे गए व खाद्य तेल भी पकड़े गए । यही कालाबाजारी लोगो की जेबे खाली कर रहा है ।

गुरुवार, 1 मई 2008

बहुत बढ़िया कदम

संसद भवन हमारे देश की आत्मा है वहाजाने वाले जनप्रतिनिधि का प्रमुख काम जनता की सेवा करना है म्लेकिन हो क्या रहा है संसद का समय जाया किया जा रहा है संसद भवन लगता है एक मलल्युद्छ का अखाडा बन गया है पता नही इन जन्प्रतिनिधिनियों को शर्म भी आती है की नही । लगभग एक लाख रुपये हर दिन का खर्च आता है लेकिन ये लोग सिर्फ़ उस समय को बर्बाद ही करते हैं। लोकसभा के अध्यक्ष जी का ३२ सांसदों को निलंबित करने का कदम एक सकारात्मक कदम है । इससे अन्य लोगों को शिक्षा ही मिलेगी जो की अब तक इस तरह के ओछी काम में मसह्गूल थे हो सकता है इससे थोडी नींद अन्य लोगों की खुले । अध्यक्ष जी के इस कदम को राजनीती से प्रेरित नही देखना चाहिए क्योंकिं इसमें ही लोकतंत्र की भलाई है