संसद भवन हमारे देश की आत्मा है वहाजाने वाले जनप्रतिनिधि का प्रमुख काम जनता की सेवा करना है म्लेकिन हो क्या रहा है संसद का समय जाया किया जा रहा है संसद भवन लगता है एक मलल्युद्छ का अखाडा बन गया है पता नही इन जन्प्रतिनिधिनियों को शर्म भी आती है की नही । लगभग एक लाख रुपये हर दिन का खर्च आता है लेकिन ये लोग सिर्फ़ उस समय को बर्बाद ही करते हैं। लोकसभा के अध्यक्ष जी का ३२ सांसदों को निलंबित करने का कदम एक सकारात्मक कदम है । इससे अन्य लोगों को शिक्षा ही मिलेगी जो की अब तक इस तरह के ओछी काम में मसह्गूल थे हो सकता है इससे थोडी नींद अन्य लोगों की खुले । अध्यक्ष जी के इस कदम को राजनीती से प्रेरित नही देखना चाहिए क्योंकिं इसमें ही लोकतंत्र की भलाई है
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