भोपाल में पिछले दिनों एक नए अखबार के आने से ऐसा लगा कि यहाँ भी मीडिया वर शुरू हो गया है । इसकी परिणिति तब देखने को मिली जब भोपाल के मीडिया dhurandharon ने इस पर एक परिचर्चा का आयोजन कर दिया जिसका विषय था भोपाल में मीडिया वर किसके हित में । वास्तव में वर तो दो पक्षों के मध्य होता है लेकिन भोपाल का युद्ध तो एकतरफा है । यहाँ एक नया मीडिया हॉउस अपनी पैठ ज़माने के लिए दूसरे की ग़लत ख़बरों को बिना मतलब का निशाना बना रहा है । यह कार्रवाई पूरी तरह से एकतरफा है दूसरे ने इसका कोई प्रत्युत्तर नही दिया , यह लड़ाई एक तरफ़ से ही तो है , तो फ़िर यह वार कैसा वार में तो दो तरफा कार्रवाई होती है । लेकिन यह बात वहाँ बिल्कुल नहीं आयी , जबकि संबंधित अख़बारों के एडिटर भी वहाँ थे । सब अपने दिमाग में यह बैठा चुके थे कि हाँ यह मीडिया वार है , तो फ़िर क्या किया जा सकता है । इस चर्चा में लग रहा था कि जोरदार गहमागहमी होगी लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ इसलिय शायद जब चर्चा समाप्त हो गयी तो कुछेक लोग आयोजकों को शांतिपूर्ण माहौल में चर्चा के समाप्त होने पर बधाई दे रहे थे , गहमागहमी न होने का एक कारण यह भी था कि आक्रमंनकर्ता अखबार का कोई प्रतिनिधि वहाँ नहीं था ।