शनिवार, 7 जून 2008

हमारी रक्षा कौन करेगा

शिवाजी की मूर्ति बनने के खिलाफ लोकसत्ता के संपादक ने जो लिखा उसके लिए उन्हें किसी से अनुमति लेने की कोई आवश्यकता नहीं थी , उन्होंने अपने अधिकार का प्रयोग संविधान के द्वारा प्रदत्त अधिकारों के तहत किया था , लेकिन घर पर इस मामले को लेकर तोड़ फोड़ की गयी जो महाराष्ट्र के राजनितिक दल के किसी विधायक ने कराई थी । क्या इनके खिलाफ मौलिक अधिकारों के हनन का मामला नहीं बनता है । वैसे भी इधर पत्रकारों पर हमले की घटनाएँ काफी बढ़ गयी है । पटना मी भी मेडिकल कोलेज के छात्रों ने पत्रकारों को पिता , मैं पूछता हूँ उनका दोष क्या था ,वे पत्रकारों की ग़लत कारगुजारियों को कैमरे मे उतार रहे थे यही उनकी गलती थी न साथ मे डॉक्टरों ने अभिभावकों को भी पीटा। गुजरात मे भी २ पत्रकारों को पुलिस प्रशासन ने तंग कर रखा है क्या हम पत्रकार भाई ऐसे ही पीटते रहेंगे । दुनिया को सच बताने के लिए हम दिन रात जागते हैं लेकिन हमारे सुरक्षा की भी तो गारंटी होनी चाहिए ।

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