रविवार, 8 जून 2008

कत्ल की रात से रहे जूझने को तैयार

कहा जाता है कि मतदान से पहले की रात नेताओं के लिए और परीक्षा से पहली कीरात परीक्षार्थियों के लिए कत्ल की रात होती है । लेकिन इस रात का सामना कैसे करें इस बात को लेकर परीक्षार्थी असमंजस मे हैं क्योंकि उनकी तैयारी पूरी नहीं है ऐसे मे जब उनकी तैयारी के बरे मे किसी से बात की जाए तो उनका सीधा सा जवाब होता है बस यार गप्पें हांक देंगे ऐसे ही तो अब तक नम्बर पाते आयें हैं तो अब चिंता क्यों करे । बात भी कुछ सही प्रतीत होती है क्योंकि उनका यही फार्मूला उन्हें अभी तक सफलता देते आया है तो जब तक असफलता हाथ नहीं लगेगी तब तक तो वे दूसरे तरीके को क्यों अपनाएंगे ॥

1 टिप्पणी:

Udan Tashtari ने कहा…

विषय वस्तु कुछ स्पष्ट नहीं हो पाई. बात को थोड़ा और विस्तार दिजिये.