बुधवार, 14 जनवरी 2009

नही बदली है हालत कोशी को कोसने वालों की

हाँ दोस्तों आप सब को यह मंजर तो याद ही होगा पूरा देश उस समय इन्ही के बारे में सोच रहा था । सरकार ने जहाँ बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित कर दिया तो पूरे भारत से उनके लिए मदद की बयार आ रही थी लेकिन आज क्या हालत है उनकी यह जानने में न हमारी न ही आपकी ही कोई रूचि है । हमारी तो मजबूरी हो सकती है लेकिन सरकार की क्या मजबूरी हो सकती है क्योंकि जनता ने उन्हें चुना है और वे इस समय उनके दुःख से मुंह मोडे हुए है । क्या करे जब तक इसे लेकर राजनीति करनी थी कर ली अब क्या है हमारा ।
आज भी हालत वैसे ही हैं बदला है तो बस इतना ही की अब वहन कोशी का पानी नही है । लेकिन लोगों की हालत तो बदतर हो गयी है क्या करे वे बही बाढ़ में अपना सब कुछ तो गवां तो चुके है अब उनके पास कुछ बचा ही नही है । आज वे भूखे पेट सो रहे हैं रात की ठंढ आग तापकर काट रहे हैं सो रहे हैं जानवरों के साथ । भूख ने तो लोगों को काल का नेवला बना दिया है । वहां तो खुशी की कोई बयार ही नही है न बच्चे न ही कहीं कोई सहनाई बज रही है।
वहां तो जिन बच्चों ने उस बाढ़ के समय जन्म लिया था उसका नाम भी उसी तरह का करदिया जैसे की कोशिका या फ़िर प्रलाय्मान इस तरह का नाम बच्चों को इस बाढ़ की दुःख भरी गाथा जिंदगी भर याद दिलाएगा ।
बिहार सरकार तो बस इस बात के लिए खुश हो रही है की हमने जैसा आपदा प्रबंधन किया है वैसा आज तक हुआनही है और लोग हमसे पूछने के लिए आ रहे है की आपने इतना बड़ा प्रबंधन कैसे किया ।

1 टिप्पणी:

Vinay ने कहा…

बहुत बढ़िया

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