शुक्रवार, 5 सितंबर 2008

क्या करें यहाँ कोई पैसा नहीं लेता

बहुत हल्ला कर रही थी सरकार।कुछ नही होगा लेकिन बहुत कुछ हो गया । परमाणु डील के नाम पर खरीद फ़रोख्त कर सरकार तो बच गयी लेकिन जिस चीज़ के लिए आपने इतना किया वहीँ पर जाके नैया लटक गयी , मनमोहन सरकार ने इस मुद्दे पर जनता सहित अन्य राजनितिक दलों को भी धोखा दिया है । आज हमारी संप्रभुता ताक पर रख दी गयी है जिसके बिना किसी राज्य का कोई स्वतंत्र अस्तित्व नहीं होता लेकिन अब हो भी तो क्या सरकार अमरीकी जाल में फंस ही गयी है सरकार को आख़िर कहना ही पड गया की अब हम परमाणु परीक्षण नहीं करेंगे जी की बिल्कुल नहीं होना चाहिए था कहने का अर्थ यह है की आपकी सरकार है तो आपके मन में जो भी आएगा आप करते जाइयेगा आप यह नही देखियेगा की इसका क्या असर होगा।सरकार का यहाँ भी वश नहीं चला नहीं तो यहाँ भी खरीद फ़रोख्त कर लेते लेकिन क्या करें लोग हैं की घूस लेंगे ही नहीं क्योंकि वे बहुत इमानदार हैं ।

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