शुक्रवार, 28 नवंबर 2008

जान बड़ी या पैसा

हमें जब पैसा कमाना होता है तो अधिकतर लोग मुंबई की तरफ़ जाते है लेकिन सवाल पैदा होता है की जान ज्यादा प्यारी है या पैसा । पिछले कुछ समय से जैसी आतंकी वारदातें हुयी है उससे तो यही लगता है की जान की कोई कीमत ही नही रह गयी है । जब जिसकी इच्छा होती है हमें गाजर मुली की तरह काटकर चला जाता है । इसके लिए हम सरकार को दोषी ठहरा सकते है लेकिन पूरी तरह नही क्योंकि हम भी जागरूक नही हैं । मुंबई में जहाँ भी घटनाएँ हुई है वहां रह रहे लोगों कजो यह पता था की कुछ लोग संदिग्ध हैं लेकिन वे अपनी जिम्मेवारी से बचते रहे और परिणाम यह रहा की सबसे बड़ी आतंकी घटना को अंजाम दिया गया । इस बार तो एकदम सीधा वार किया गया । इससे यह पता चलता है की वे कितने तेज हैं। और हम पीछे रह जाते हैं । इंग्लिश टीम का क्रिकेट दौरा रद्द हो गया जिस मेहमानबाजी पर हम इतराते थे वही आज हमारे लिए कलंक बन गयी अब हम किस आधार पर कहें की हम पाक में खेलने नही जायेंगे क्योंकि हमारा घर भ तो उतना ही असुरक्षित है। हम दुनिया में तीसरी बड़ी शक्ति होने का दावा करते हैं लेकिन ये बताइए की जब जान ही सुरक्षित नही तो फ़िर अन्य चीसों की क्या गुअरंती है । हा,ने अमरीका से तरक्की करनी सीख ली तो फ़िर हम इन आतंकियों से निबटने का तरीका क्यों नही सीख पाये । एक बार ९/११ होने के बाद अमरीका में फ़िर वैसी कोई घटना नही हुयी प्रयास तो वहां भी किए गए थे और हमारे यहाँ तो हर रोज ही ऐसी घटना हो रही है । सरकार की कारगुजारियों की मैं चर्चा बिल्कुल भी नही करूँगा क्योंकि उनका तो इसमे कुछ भी नही जाता है दो सद्भावना भरी लाइन कह दी और पैसा दे दिया । क्योंकि उनके पास इच्छा शक्ति का अभाव है वरना इन समस्यायों का समाधान हम कब कर लिए होते लेकिन यहाँ भी तुष्टिकरण की नीति अपनाई जा रही है । आज भारत जल रहा है और हम जनता को ही मिलकर कुछ करना होगा अपने देश की साख बचानी होगी।

मंगलवार, 25 नवंबर 2008

जनता को सिर्फ़ दुःख देते हैं

देखिय चुनावों में एक ओर जहाँ जमकर पैसा बहाया जाता है वही जनता को भी काफ़ी दुःख दिया जाता है । काम तो कोई बजी नेता नही करता लेकिन वोट मांगने सब आ जाते हैं पता नही इन लोगों को न्शाराम आती है की नही । एक ओर तो या आचार संहिता का अलंघन भी करते हैं देर रात तक चुनाव प्रचार के नाम पर सिर्फ़ शोर करते हैं । बताइए एक तो ५ साल या अपना काम नही करते और चुनाव प्रचार के समय हम जनता को दुःख देते हैं ।

शुक्रवार, 21 नवंबर 2008

मदद की जरूरत अमीरों को है गरीबों को नहीं

आज अखबार खोला और जब ख़बर पढ़ा तो लगा की जो सरकार को चुनती है उसके प्रति सरकार का कोई दायित्वा नही है और जो लोग वोट देने नही जाते सरकार उनकी चिंता ही ज्यादा करती है । अब तो कहना पडेगा की प्रजातंत्र अमीरों का ,अमीरों के लिए और अमीरों की सरकार है तो यह ग़लत नही होगा । आप ही जरा बताइए इस देश में मदद की जरूरत किसे है गरीबो को या एयरलाइन्स के मालिकों को , आमजन को गाड़ी चलाबे के लिए ५५ रुपये में पेट्रोल खरीदना पड़ रहा है लेकिन एयरलाइन्स के मालिकको हवाई जहाज चलाने के लिए तेल ४० से भी कम दाम पर तेल मिल रहा है । अब क्यों मिल रहा है इस बारे में तो सरकार ही बता सकती है लेकिन हमें तो यही लगता है की देश में कृषि सिंचाई सुविधा से ज्यादा एयरलाइन्स को मदद पहुँचने की है । ज्यादा उत्पादन होने से पेट भरेगा लेकिन ज्यादा जहाज पर चढ़ने से पैसा घटेगा और यह हमारा पेट ही काटेगा । लेकिन सरकार के लिए जहाज ज्यादा महत्वपूर्ण है । यदि ऐसा है तो चुनावी घोषणापत्र में जनता के लिए इतने वादे क्यों करते हैं बेहतर तो यही हीकी आप इन अमीरों के लिए ही वादे करें। यही आपको वोट देंगे और पैसा भी॥ पर्यटन उद्योग घाटे में जाने से इतना बड़ा अहित नही होता जितना की अभी सरकार कर रही है । क्यों चुनावों के समय गरीबी हटाने का रोना रोते है । बेहतर तो होगा की इन गरीबों को ही हटा दे। न रहेगा बॉस न बजेगी बांसुरी .मतलब न रहेंगे गरीब न होंगी तकलीफ । फ़िर सरकार और उनके अमीर दोस्त सब खुश रहें..

किस पर करें कोई विश्वास

आज दुनिया का हर रिश्ता हाशिये पर है चाहे माँ बाप का हो या कोई अन्य रिश्ता हर रिश्ते की एक ही हालत है किसी भी रिश्ते पर कोई भी विश्वास नही करता । सवाल उठता है क्यों नही करता आख़िर जब बेटा बेटी ही माँ बाप का कत्ल करने लगेंगे तो कैसे कोई विश्वास करेगा किसी पर । जिस दिन मिस मेरठ की माँ ने उसे जन्म दिया होगा उस दिन सोचा भी नही होगा की एक दिन इसी के हाथों मेरेहत्या होगी । कम से कम इतना बुरा तो कोई नही सोचता आख़िर सोचे भी तो कैसे वह अपना खून है वह कैसे दगा कर सकता है । लेकिन आज ऐसा हो रहा है मिस मेरठ ने अपने दोस्त की मदद से अपने परिजनों की हत्या की है इसके पीछे की कहानी जो भी हो लेकिन बात इतनी गंभीर भी नही थी की उसका अंजाम ह्त्या होता । आज माता पिता दुनिया में तो नही ही रहे लेकिन मिस मेरठ को क्या हासिल हुआ जिल्लत लोगों की गाली । यही न या कुछ अच्छी चीज़ मिली हमें नही लगता की कोई अच्छी चीज़ मिली होगी । माना की आज पैसों का महत्वा बढ़ गया है लेकिन इतना भी नही की हम दुनिया के हर रिश्ते को टाक पे एअख दे । अब भी समय है की हम अपनी नैतिकता को बचा सकते हैं वरना आज तक जो हम दुनिया को नैतिकता का जो पाठ पढाते है कल से हमारे पास वह भी नही होगा ।

गुरुवार, 13 नवंबर 2008

यह न कभी सोता है न ही कोई स्थाई दोस्त है

दोस्तों प्लीज चिंता मत कीजिये मैं जो कह रहा हूँ वह कोई आश्चर्य नही है क्योंकि जरा सोचकर देखिये की हमारे लिए तो ६ घंटे की नींद तो जरूरी होती है लेकिन क्या पैसा कभी सोता है क्या । यदि भारत में जागता है तो कही और सोता है , कही और जगता है तो भारत में सोता है। ऐसे में यह ख़याल आना सहज है की क्या इसे नींद नही आती क्या । यदि आप किसी को अचानक पूछेंगे की कौन कभी नही सोता है तो शायद ही कोई जवाब दे पाए लेकिन जब आप बताएँगे तो शायद ही कोई इनकार करे । ठीक वैसे ही कोई इसका स्थाई दोस्त भी नही होता किसी को अमीर और किसी को गरीब बनते देर ही कितनी लगती है आजकल । हम अमेरिका के उदहारण को देख सकते हैं । तो इस सख्स से जरा बचकर रहिये.नही तो आपको भी यह नाग के स्टाइल में दस सकता है।

गुरुवार, 6 नवंबर 2008

आख़िर उमा ने थप्पर क्यों मारा

जब आपकी पार्टी में कोई नेता होता है तो आप उसकी इज्जत करते हैं और वह भी आपकी इज्जत करता है लेकिन यदि आप उसकी इज्जत लेने पर उतारू हो तो फ़िर क्या होगा । वह भी ऐसे समय में जब चुनाव हो उस समय आपकी एक एक हरकत मिडिया के सामने होती है और आप गलती कर बैठती है तो फ़िर आपको भोगना तो पड़ेगा ही न । जरा बताइए इस समय उमा भारती पर क्या बीत रही होगी जब पार्टी का एक नेता उनके द्वारा अपमान किए जाने पर पार्टी छोरकर चला जाता है तो आपकी जगहसाई होगी न । तो फ़िर क्यों करते हैं ऐसा । इस समय यदि आपके पार्टी की अन्दर की बातों को यदि वह लीक कर दे तो नुक्सान किसका होगा बताइए । आप सीएम बनाना चाहती हैं वह तो फिलहाल नही चाहता । तो सिर्फ़ अपनी ही इज्जत मत कीजिये दूसरों की भी इज्जत किया कीजिये ।

आख़िर उमा ने थप्पर क्यों मारा

सोमवार, 3 नवंबर 2008

मंदी का असर आतंकियों पर नही

अभी पूरी दुनिया में मंदी है लेकिन ऐसा लगता है की आतंकियों की दुनिया इससे अप्रभावित है वहां कोई मंदी नही है । पिछले कई महीने में इतने सारे बम विस्फोट हो चुके हैं की कही से भी नही लगता की यहाँ अभी मंदी है । दरअसल बात यह है की इनका जो आका है न पकिस्तान वह मंदी से काफ़ी प्रभावित है उसकी हालत इतनी ख़राब हो चुकी है की अब वह आतंकियों को धन नही दे सकता । इससे आतंकी संघटन भी घबरा गए हैं उन्हें लगने लगा है की जो करना है जल्दी कर लो बाद में पता नही कुछ करने को मिले भी या नही । तो जो भी आतंकी कार्रवाई हो रही है वह हताशा का नतीजा है उससे ज्यादा कुछ भी नही। लेकिन यह कहकर हम और हमारी सरकार अपनी जिम्मेदारियों से बच नही सकते आख़िर दायित्वा हमारा भी है की हम भी देशः को कुछ दे । कम से कम ऐसे बुरे समय में हम अपने ऊपर संयम रखकर और दूसरो की मदद कर हम मदद कर सकते हैं।,

मंदी से प्रभावित नही आतंकी