आज अखबार खोला और जब ख़बर पढ़ा तो लगा की जो सरकार को चुनती है उसके प्रति सरकार का कोई दायित्वा नही है और जो लोग वोट देने नही जाते सरकार उनकी चिंता ही ज्यादा करती है । अब तो कहना पडेगा की प्रजातंत्र अमीरों का ,अमीरों के लिए और अमीरों की सरकार है तो यह ग़लत नही होगा । आप ही जरा बताइए इस देश में मदद की जरूरत किसे है गरीबो को या एयरलाइन्स के मालिकों को , आमजन को गाड़ी चलाबे के लिए ५५ रुपये में पेट्रोल खरीदना पड़ रहा है लेकिन एयरलाइन्स के मालिकको हवाई जहाज चलाने के लिए तेल ४० से भी कम दाम पर तेल मिल रहा है । अब क्यों मिल रहा है इस बारे में तो सरकार ही बता सकती है लेकिन हमें तो यही लगता है की देश में कृषि सिंचाई सुविधा से ज्यादा एयरलाइन्स को मदद पहुँचने की है । ज्यादा उत्पादन होने से पेट भरेगा लेकिन ज्यादा जहाज पर चढ़ने से पैसा घटेगा और यह हमारा पेट ही काटेगा । लेकिन सरकार के लिए जहाज ज्यादा महत्वपूर्ण है । यदि ऐसा है तो चुनावी घोषणापत्र में जनता के लिए इतने वादे क्यों करते हैं बेहतर तो यही हीकी आप इन अमीरों के लिए ही वादे करें। यही आपको वोट देंगे और पैसा भी॥ पर्यटन उद्योग घाटे में जाने से इतना बड़ा अहित नही होता जितना की अभी सरकार कर रही है । क्यों चुनावों के समय गरीबी हटाने का रोना रोते है । बेहतर तो होगा की इन गरीबों को ही हटा दे। न रहेगा बॉस न बजेगी बांसुरी .मतलब न रहेंगे गरीब न होंगी तकलीफ । फ़िर सरकार और उनके अमीर दोस्त सब खुश रहें..
मुसीबतें भी अलग अलग आकार की होती है
1 वर्ष पहले
1 टिप्पणी:
बहुत सही कहना है आपका। बधाई इतने सुंदर लेख के लिए।
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